ईमान और एहतिसाब के साथ रोज़ा रखे: शाहरुख मलिक एडवोकेट
Fast with faith and ethics: Shahrukh Malik Advocate

Fast with faith and ethics: Shahrukh Malik Advocate
बिजनौर क्राइम रिपोर्टर शाहरुख मलिक की रिपोर्ट: बिजनौर शेरकोट रमज़ानुल मुबारक का बा बरकत महीना शुरू हो रहा है इस महीने के बहुत से फजाइल हदीस की किताबों में मौजूद हैं, शाहरुख मलिक एडवोकेट व बिजनौर क्राइम रिपोर्टर ने कहा की हमारे नबी ने फरमाया जो शख्स रमजानुल मुबारक के महीने में ईमान और एहतिसाब के साथ रोजा रखेगा उसके पिछले गुनाह माफ हो जाएंगे, और जो शख्स ईमान और एहतिसाब के साथ रमजान के महीने में रात को कयाम करेगा यानी इबादत करेगा तरावीह पढ़ेगा उसके पिछले गुनाह माफ हो जाएंगे।
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अल्लाह के नबी ने सिर्फ रोजा रखने और रात को इबादत करने पर पिछले गुनाहों के माफी की खुशखबरी सुनाई, लेकिन साथ ही दो बातों की शर्त भी लगा दी ईमान और एहतिसाब, ईमान का मतलब है अल्लाह के वादों पर यकीन करते हुए रोजा रखना, जो अल्लाह ने फरमाया है वह बिल्कुल बरहक है उसमें शक और शुबेह की गुंजाइश नहीं है, और एहतिसाब का मतलब इताअ तो फरमाबरदारी के कामों की अंजाम दही के वक़्त अल्लाह की रजा का इरादा करना, और उसका सवाब तलब करना, जैसे हम नमाज के लिए खड़े हों तो पूरी नमाज के अंदर नमाज का ध्यान रहे हर वक्त यह बात मुस्तहजर रहे कि मैं अल्लाह के सामने खड़ा हुआ हूं, इसी तरह रोजे के अंदर इसतेहजार का मतलब यह है कि हमारा रोजा अल्लाह के हुक्म पर अपनी ख्वाहिशात और जरूरतों को छोड़कर अल्लाह को राजी रखने और आखिरत के अजरो सवाब को हासिल करने के लिए रोजा रख रहे हैं।
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रोजा हमारे दिल की सफाई के लिए हमें पाक करने के लिए हमारे कलब की गंदगी को दूर करने के लिए और हमें मुक्तकी और परहेज गार बनाने के लिए फर्ज किया गया है, जैसा के अल्लाह खुद कुराने पाक में इरशाद फरमाते है ईमान वालों तुम पर रोजे फर्ज किए गए जिस तरह तुम से पहले लोगों पर फर्ज किए गए थे ताकि तुम तक़वा इख्तियार करो और रमजान के महीने में जकात सदका निकालना बहुत जरूरी है हैसियत के हिसाब से जकात सदका निकालना बहुत जरूरी है।