इन बेमौत मर रहे पौधों को बचा लीजिए साहब.

इन बेमौत मर रहे पौधों को बचा लीजिए साहब.
रिपोर्टर गौरव गुप्ता।
5 अप्रैल को जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला गंगा समिति, उधमसिंहनगर की बैठक थी. मैं भी इसमें पर्यावरणविद के तौर पर नामित सदस्य होने के नाते प्रतिभाग करने गया था. जाते समय मैंने देखा कि रुद्रपुर हल्द्वानी मार्ग पर सिडकुल के सामने पौधे सूखकर मरने की कगार पर आ गए हैं. जिले में 2 साल पहले G – 20 समिट के पहले पंतनगर से लेकर रुद्रपुर काशीपुर रामनगर तक रोड डिवाइडर पर बहुत सुन्दर फ़ूलों के पौधे लगाए गए थे. इनकी संख्या हजारों में थी और खर्च भी लाखों आया होगा. आज इनकी ये दुर्दशा है कि पानी देने वाला नहीं है ,कोई सिंचाई नहीं हो रही है पौधे मरने लगे हैं. यदि तुरन्त सिंचाई
व्यवस्था नहीं की गयी तो ये सब पौधे बेमौत मारे जाएंगे.
पिछले वर्ष भी ऐसी ही स्थिति थी तब मैंने नगर निगम के आयुक्त से पानी की व्यवस्था कराने का अनुरोध किया था. आयुक्त श्री नरेश चंद्र दुर्गापाल एक सम्वेदनशील व्यक्ति हैं उन्होंने निगम की ओर से व्यवस्था करायी परंतु तब तक 35 से 40 प्रतिशत पौधे सूखकर मर चुके थे. अब गर्मी का मौसम शुरू होते ही फिर पौधे सूखने लगे हैं. मैंने जिलाधिकारी से पौधों को बचाने के लिए लिखित गुहार लगायी है. ज्ञात हुआ है कि सड़कों की देखरेख और डिवाइडर के पौधों की सिंचाई की जिम्मेदारी राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की है पर वो आखें मूँदे पड़े हैं. आप देहरादून जाएं या बरेली दिल्ली कहीं भी जाएं आप देखेंगे कि डिवाइडर पर पौधों का नियमित रूप से अच्छा रख-रखाव हो रहा है पता नहीं उधमसिंहनगर जिले में पौधों पर ध्यान क्यों नहीं दिया जाता है.
मैं हल्द्वानी रहता हूं महीने दो महीने में कभी रुद्रपुर आना होता है. मैं जब भी पौधों की दुर्दशा देखता हूं जो भी प्रयास हो सकता है करता हूं एक बार तो मैंने खुद 2 टैंकर पानी डाला था पर व्यक्तिगत रूप से साल भर ऐसा करना सम्भव नहीं है. फिर जिस विभाग की य़ह जिम्मेदारी है जिसको बजट मिलता है वह अपनी ड्यूटी क्यों नहीं करते हैं.
मुझे आश्चर्य और दुख है कि इन रास्तों से रोज हजारों लोग गुजरते हैं जिनमें नेता भी होते हैं, अधिकारी भी होते हैं, कर्मचारी और सामान्य नागरिक भी होते हैं पर कोई भी इन पौधों पर ध्यान नहीं देता है. आखिर समाज इतना सम्वेदनाशून्य क्यों हो गया है.
जिलाधिकारी महोदय ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को निर्देश तो दिए हैं देखिये अब वो क्या करते हैं. यदि तत्काल पानी नहीं मिला तो पौधों का बचना मुश्किल है.
डॉ आशुतोष पन्त
पूर्व जिला आयुर्वेद अधिकारी/पर्यावरणविद ,हल्द्वानी.