उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही उत्तराखंड की राजनीति का सियासी पारा बढ़ता जा रहा है और राजनीति में दलबदलू नेता सत्ता में काबिज होकर सत्ता की मौज लेते हुए दिखाई दे रहा है. उत्तराखंड में विधनसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं। वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड की राजनीति को लेकर उठापठक का दौर जारी है।
उत्तराखंड की राजनीति इन दिनों फिल्मी सॉन्ग जैसी होती हुई दिखाई दे रही है. आपने गोविंदा की ‘साजन चले ससुराल’ मूवी तो देखी होगी. उसमें एक गाना “तुम तो धोखेबाज हो” भी सुना ही होगा. यह सॉन्ग उत्तराखंड के दल बदलू नेताओं पर बिल्कुल सही साबित हो रहा हैं. सॉन्ग में गोविंदा दो बीबियों को चलाता है. ऐसी ही कुछ मौज उत्तराखंड के दल बदलू नेताओं की होती हुई दिखाई दे रही है. कभी कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में तो कभी बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में.
कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आने वाले सभी नेताओं को 2017 के विधानसभा चुनाव का टिकट दिया था. मार्च 2017 में त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में जब उत्तराखंड में बीजेपी सरकार बनी तो 10 सदस्यीय मंत्रिमंडल में ठीक आधे यानी पांच मंत्री कांग्रेस से आने वाले नेताओं को बनाया गया. इनमें यशपाल आर्य, सतपाल महाराज, हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल व रेखा आर्य शामिल थीं.
2022 के विधानसभा चुनाव आने से ठीक पहले सूबे की सियासी नब्ज को समझते हुए यशपाल आर्य ने अपने बेटे के साथ घर वापसी कर गए हैं. जिसके बाद उत्तराखंड की राजनीति के समीकरण पूर्ण रूप से बदलते हुए दिखाई दे रहे हैं. ग्राफ में बड़ी कांग्रेस सत्ता वापसी की सपना देखने लगी तो वहीं उत्तराखंड की राजनीति में हलचल मनाने वाली आम आदमी पार्टी ऐसे दल बदलू नेताओं पर तंज कसते हुए कहा कि मुख्यमंत्री भाजपा का रहता है और पूरी कैबिनेट कांग्रेस की. कांग्रेस और भाजपा नूरी कुश्ती जैसा गेम खेल रहे हैं. आगामी विधानसभा चुनाव में जनता इसका जवाब देगी.
वहीं, सत्ता में काबिज भारतीय जनता पार्टी के लगभग पूरा कार्यकाल भाजपा के कैबिनेट मंत्री बनकर काटने के बाद पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य को कांग्रेस की याद आ गई और घर वापसी कर ली. एक तरफ दल बदल कर अपने दल में साबित करने के लिए न्योता दे रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी के कैबिनेट मंत्री अरविंद पांडे और दूसरी डब्लू नेताओं के खिलाफ बोलते हुए दिखाई दे रहे हैं.
दल बदलू नेताओं के दल बदलने से उत्तराखंड की राजनीति के समीकरण फिर से बदल कर रख दिए लेकिन इस बार मजबूत विपक्ष और खुलकर दोनों ही पार्टियों के खिलाफ पहली बार चुनावी मैदान में उत्तराखण्ड में उतरने वाली आम आदमी पार्टी इस बार भाजपा और कांग्रेस को खुलकर बेनकाब करने का मन बना चुकी है, वहीं दलबदलुओं पर तीखे अंदाज में बयान देकर आम आदमी पार्टी ने एक बार फिर भाजपा और कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है.
वहीं केंद्रीय गृह एवं सहकारिता अमित शाह ने शनिवार देहरादून में एक सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कांग्रेस पर जमकर सियासी तीर छोड़े. अमित शाह ने मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति को लेकर कांग्रेस की आलोचना की.
जुमे की नमाज को लेकर अमित शाह ने पूर्व में अपने उत्तराखंड दौरे का उदाहरण देते हुए तत्कालीन कांग्रेस सरकार व मुख्यमंत्री हरीश रावत की शासन पद्धति पर सवाल खड़े किए. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी गोवा में व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत देहरादून में भाजपा पर वादों को पूरा नहीं करने का आरोप लगाते हुए ‘जुमला पार्टी’ की संज्ञा दे रहे थे.
वहीं अमित शाह ने कहा, मैं हरीश रावत को चैलेंज करता हूं, खुली डिबेट कर लें. कांग्रेस ने कितने वादे निभाए थे, भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में से कितने वादों को पूरा किया. केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, मेरा दावा है कि भाजपा ने अपने घोषणापत्र के 85 फीसदी वादों को पूरा किया है.
अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस कभी लोक कल्याण का कार्य नहीं कर सकती है. गरीबों के कल्याण का कार्य केवल पीएम नरेंद्र मोदी के शासन में ही संभव है. देवभूमि के लोगों ने एक बार फिर भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का मन बना लिया है.