देहरादून, ब्यूरो। कांग्रेस ने एक दिन पहले ही उत्तराखंड प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और उप नेता प्रतिपक्ष के ओहदे क्या बांटे पूरी पार्टी में घमासान मच गया है। पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह जहां इस्तीफा देने के लिए तैयार होने की बात कह रहे हैं वहीं, पार्टी की चमोली जिला कार्यकारिणी ने इस फैसले में गढ़वाल मंडल की उपेक्षा करने पर सामूहिक इस्तीफा दे दिया है।
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पूर्व नेता प्रतिपक्ष और चकराता विधायक प्रीतम सिंह ने कई गंभीर आरोप भी पार्टी के नेताओं पर लगाए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश प्रभारी रहे देवेंद्र यादव की वह रिपोर्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए जिसमें साफ-साफ कहा गया है कि पार्टी आपसी गुटबाजी के कारण विधानसभा चुनाव हारी है। इसके अलावा कई और गढ़वाल के नेता भी अंदर ही अंदर खिन्न हैं और पूरे मंडल की उपेक्षा होने पर नेताओं में उबाल देखने को मिल रहा है।
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बता दें कि एक दिन पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के पद करण माहरा, नेता प्रतिपक्ष के पद पर यशपाल आर्य और उपनेता प्रतिपक्ष के पद पर भुवन चंद कापड़ी को तैनात किया है। यह खबर सामने आने के बाद ही प्रीतम सिंह की मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात होना भी सत्ता के गलियारों में चर्चाओं में रहा। अब वह खुद कह रहे हैं कि वह इस्तीफा देने को तैयार हैं।
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प्रीतम के अनुसार प्रदेश प्रभारी रहे देवेंद्र यादव ने अपनी रिपोर्ट साफतौर पर खुलासा किया है कि किन-किन नेताओं की अंदरूनी गुटबाजी से कांग्रेस प्रदेश में बुरी तरह चुनाव हारी है। उनका यह भी कहना है कि अगर इसमें उनका नाम भी आता है तो वह विधायिकी से इस्तीफा देने को तैयार हैं।
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उत्तराखंड कांग्रेस में विधानसभा चुनाव में हार के एक माह बाद बनाए गए नेता प्रतिपक्ष, प्रदेश अध्यक्ष और उप नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी एकतरफा कुमाऊं मंडल को देने से घमासान खड़ा हो गया है। अब देखना होगा कि अंदरूनी गुटबाजी का यह घमासान कहां जाकर रूकता है। नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी भी कांग्रेस ने ऐसे नेता को सौंपी है जो एक साल पहले ही भाजपा से वापस कांग्रेस में आए हैं। जबकि प्रदेश अध्यक्ष पूर्व विधायक को बनाया गया है। साथ ही उपनेता प्रतिपक्ष की कमान भुवन कापड़ी को सौंपी गई है।
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ऐसे में देखा जाए तो पूरी तरह कांग्रेस ने कुमाऊं में ही अपनी पार्टी की सारी कमान सौंप दी है। इससे पार्टी में घमासान मचना तय है। पार्टी कुछ जिम्मेदारी गढ़वाल मंडल के नेताओं को भी सौंप सकती थी। ऐसे में कांग्रेस के सिपहसालारों को कौन ज्ञान देगा और गणित समझाएगा। ऐसे में कांग्रेस 2017 की तरह एक बार फिर बिखरने वाली है।