धर्मपुर सीट पर सियासी महासंग्राम! बीर सिंह पंवार vs विनोद चमोली
जनता का प्रत्याशी हूं! जनता ही चुनाव जीताकर विधानसभा भेजेगी

देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में कुछ ही वक्त शेष रह गया है। ऐसे में सभी राजनीतिक दल चुनाव की तैयारियों को लेकर जोर-शोर से जुट गए हैं। वहीं उत्तराखंड की हॉट विधानसभाओं में से एक धर्मपुर विधानसभा सीट पर इस बार सियासी महासंग्राम देखने को मिलेगा। इस सीट पर मुकाबला आमने-सामने का नहीं बल्कि त्रिकोणीय हैं। मुकाबले को त्रिकोणीय बना रहे हैं भाजपा से बागी होकर वीर सिंह पंवार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।
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यहां भाजपा प्रत्याशी विनोद चमोली को अपने ही पार्टी के तेजतर्रार नेताओं में शुमार रहे बीर सिंह पंवार से दो-दो हाथ करने होंगे। वीर सिंह पंवार के साथ जहां युवाओं-महिलाओं व बड़े बुर्जगों का साथ है। वहीं पिछले 5 साल में विकास कार्य न होने से विनोद चमोली के खिलाफ लोगों में खासा नाराजगी देखने मिल रही है। कांग्रेस विधायक दिनेश अग्रवाल के सक्रिय न होने के कारण वीर सिंह पंवार की राह आसान दिखाई दे रही है।
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वीर सिंह पंवार आज परिवार सहित डाट काली मंदिर पहुंचे। जहां पूर्ण विधि-विधान से मां काली की पूजा अर्चना कर जीत का आर्शिवाद लिया। जिसके बाद समर्थकों के साथ नांमाकन करने पहुंचे। वीर सिंह पंवार ने नामांकन कर भाजपा प्रत्याशी विनोद चमोली और कांग्रेस प्रत्याशी दिनेश अग्रवाल के लिए मुश्किलें बढ़ा दी है।
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इस दौरान पत्रकारों से बात करते हुए वीर सिंह पंवार ने कहा धर्मपुर क्षेत्र से 3 बार कांग्रेस से विधायक रहे दिनेश अग्रवाल व 1 बार भाजपा विधायक रहे विनोद चमोली ने कोई विकास कार्य नहीं किये। जिसके आधार पर बीजेपी के द्वारा कराए गए सर्वे में मौजूदा विधायक बहुत पीछे थे। फिर भी पार्टी ने विधायक के दबाव में उन्हें ही प्रत्याशी बनाया है। जिसका खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ेगा और इस बार निर्दलीय के तौर पर हमें जनता का समर्थन मिलेगा।
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वीर सिंह पंवार पहाड़ी प्रजा मण्डल के अध्यक्ष हैं। धर्मपुर विधानसभा में लंबे समय से सक्रिय पंवार के साथ बड़ी संख्या में युवा और महिलायें जुड़ी हुई हैं। पंवार राज्य गठन के बाद से अपनी विधानसभा में लगातार काम कर रहे थे। वीर सिंह पंवार का कहना है कि उन्होंने 2017 में भी पार्टी से टिकट की मांग की थी और उस वक्त पार्टी ने विनोद चमोली को टिकट दे दिया। हमने कहा ठीक है और पार्टी ने जो फैसला किया है वो सर्वमान्य हैं।
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इस दौरान हमने पार्टी और विनोद चमोली के लिए मेहनत की और वो जीतकर आए, लेकिन वो जब से विधायक बने उन्होंने अपने क्षेत्र में कुछ काम नही किया। आज हालत यह है की आम लोग उनसे बहुत परेशान हैं। साथ ही इस बार विधानसभा क्षेत्र के लोगों और कार्यकर्ताओं को पूरा यकीन था कि वीर सिंह पंवार को ही टिकट मिलेगा क्योंकि ग्राउंड रिपोर्ट भी यही कह रही थी।
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रिपोर्ट में साफ था पार्टी के लिए सबसे ज्यादा उपयोगी कैंडिडेट वीर सिंह पंवार ही होंगे। लेकिन एक बार फिर से मेरा टिकट काट दिया गया। लेकिन मैं कहता हूं कि भाजपा से मुझे बैर नहीं लेकिन विनोद चमोली तेरी खैर नही। विधानसभा क्षेत्र की आम जनता चाहती थी कि मैं चुनाव लड़ूं और इसीलिए अब मैं निर्दलीय खड़ा हो रहा हूं। जनता का प्रत्याशी हूं जनता ही चुनाव जीताकर विधानसभा भेजेगी।