Harak ..यानी U.A.E और उत्तराखंड की राजनीति का मुख्य चेहरा…?

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड में आज नामांकन पत्र भरने को हुजूम लगा रहा। सभी राजनीतिक दलों ने नामांकन कराए। इस बीच निर्दलीय नामांकन भी भरे गए। हरक की हनक से कांग्रेस से लेकर बीजेपी वाले तक सब परेशान रहे, लेकिन ये भी सच है कि हरक हर पार्टी के लिए जरूरी हैं।
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प्रदेश में एक बार फिर विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, लेकिन इस चुनाव में हरक सिंह रावत की मौजूदगी न होने से पहले जैसा रोमांच महसूस नहीं हो रहा। बीते दिनों हरक सिंह रावत अपनी पुत्रवधू संग कांग्रेस में शामिल हो गए। हरक और हरीश रावत जैसे दिग्गज नेता जो पिछले पांच साल तक एक-दूसरे पर लगातार सियासी वार करते रहे, वो अब एक ही नाव पर सवार हो गए हैं। अंतर बस इस बात का है कि हरीश रावत चुनाव मैदान में हैं, जबकि हरक सिंह रावत बैकग्राउंड में रहकर काम करेंगे। राज्य गठन के बाद दो दशक के चुनावी इतिहास में हरक पहली बार चुनाव नहीं लड़ेंगे।
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कांग्रेस में जाने के बाद उनके चौबट्टाखाल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की संभावना जताई जा रही थी। हरक ने भी कहा था कि पार्टी ने टिकट दिया तो वो चुनाव जरूर लड़ेंगे। ये बात और है कि हरक बीजेपी से निकाले जाने से पहले ही कह चुके थे कि वो अब चुनाव नहीं लड़ना चाहते।
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बीजेपी में प्रत्याशियों का चयन होने लगा तो हरक सिंह को पार्टी से बाहर कर दिया गया। वजह बताई गई कि हरक अपनी बहू के अलावा एक अन्य के लिए टिकट मांग रहे थे। बीजेपी से निकाले जाने के छह दिन बाद हरक ने कांग्रेस में वापसी कर ली। जिसके बाद कांग्रेस ने उनकी बहू अनुकृति गुसाईं को लैंसडौन से टिकट दिया, लेकिन हरक को उम्मीदवार नहीं बनाया। तीन दशक की चुनावी सियासत में पहली बार हरक सिंह रावत चुनाव नहीं लड़ रहे हैं।
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राज्य गठन के बाद वो सबसे पहले 2002 में लैंसडौन से चुनाव जीते थे। साल 2012 में वो रुद्रप्रयाग और साल 2017 में कोटद्वार से विजयी रहे। 2022 के विधानसभा चुनाव में हरक सिंह के डोईवाला, केदारनाथ, यमकेश्वर या लैंसडौन विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ने की चर्चाएं गरमा रही थीं।
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ये भी खबर उड़ी की कांग्रेस उन्हें चौबट्टाखाल से चुनाव मैदान में उतारेगी, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशियों की फाइनल लिस्ट आते ही हरक सिंह के Uttarakhand assembly elections लड़ने की संभावनाएं भी खत्म हो गईं।
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Harak Singh Rawat का कहना है कि उन्हें टिकट न मिलने का अफसोस नहीं है। वह कांग्रेस पार्टी के लिए समर्पित भाव से काम करेंगे। पार्टी जैसा भी आदेश करेगी, वह उसका पालन करेंगे।