उत्तराखंड

ब्रेकिंग: DMC उत्तराखंड को पुरुस्कृत करेंगे PM नरेंद्र मोदी! पढ़ें पूरी ख़बर 

व्यक्तियों व संस्थाओं को आपदा प्रबन्धन के क्षेत्र में कार्य करने के लिये प्रोत्साहित करने, नवाचार सुनिश्चित करने तथा किये गये कार्यों के लिये सम्बन्धितों को सम्मानित करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण (एनडीएमए), भारत सरकार के द्वारा स्थापित सुभाष चन्द्र बोस राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन पुरुस्कार वर्ष 2020 के लिए संस्थागत श्रेणी के अन्तर्गत उत्तराखण्ड के आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबन्धन केन्द्र (डीएमएमसी) को दिया गया था।

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यह पुरुस्कार आगामी 23 जनवरी को नई दिल्ली स्थित प्रधानमंत्री आवास में आयोजित समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा डीएमएमसी उत्तराखंड के अधिशासी निदेशक डा. पीयूष रौतेला को प्रदान किया जायेगा। पुरस्कार में प्रशस्ति पत्र के अतिरिक्त 51 लाख रुपए की धनराशि दी जाती है।

उल्लेखनीय है कि डीएमएमसी उत्तराखंड इस प्रतिष्ठित पुरुस्कार को पाने वाला राज्य सरकार का अकेला संस्थान है।डीएमएमसी को यह पुरुस्कार आपदा प्रबन्धन के क्षेत्र में किये गये विश्वस्तरीय शोध, खोज एवं बचाव तथा भूकम्प सुरक्षित भवन निर्माण प्रशिक्षणों और आपदा जागरूकता हेतु किये गये अभिनव प्रयोगों के लिये दिया जा रहा है।

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उल्लेखनीय है कि डीएमएमसी के द्वारा जहाँ एक ऒर विशेष रूप से उत्तराखण्ड क्षेत्र की परम्परागत आपदा सुरक्षा विधियों तथा अवसंरचनाओं की भूकम्प सुरक्षा पर विश्वस्तरीय शोध किया गया है तो वही दूसरी ऒर जन – जागरूकता के लिये हिंदी के साथ – साथ कुमाँऊनी व गढ़वाली में रोचक व अत्यन्त मनोरंजक साहित्य व फ़िल्मों का विकास किया गया है।

डीएमएमसी उत्तराखंड देश का अकेला ऐसा संस्थान है, जिसके द्वारा बनायी गयी फिल्म सेंसर बोर्ड द्वारा प्रमाणित होने के बाद देश भर में व्यावसायिक रूप से मल्टीप्लेक्स व सिनेमाघरों में प्रदर्शित की गयी हैं। वास्तविक जीवन में मूक – बधिर 13 बच्चों द्वारा अभिनीत और आपदा पूर्व तैयारी, असमर्थता पर विजय व सामाजिक समाविष्टता का सन्देश देती तथा महेश भट्ट द्वारा निर्देशित इस फिल्म ‘दि साइलेंट हीरोज’ का लोकार्पण 11 दिसम्बर 2015 को किया गया था।

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आश्चर्यजनक यह है कि उत्तराखंड में कुशल एवं नेतृत्व क्षमता के धनी खासकर उत्तराखंड मूल के समर्पित अधिकारियों की कद्र नहीं है। डीएमएमसी के गठन के समय से प्रारंभ से कई अच्छे अवसर छोड़कर अपने पैतृक राज्य में जनमानस को प्राकृतिक आपदाओं के कहर से बचाने के उद्देश्य से उत्तराखंड में अनिश्चित भविष्य की आशंकाओं के बीच काम करने के बाद नौकरशाही की विफलताओं की अनदेखी कर एक साल पूर्व सरकार ने हतोत्साहित करते हुए भूगर्भ विज्ञानी डा.पीयूष रौतेला को निलंबित कर दिया।

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नौकरशाही की खामियों का ठीकरा अधिशासी निदेशक डा. पीयूष रौतेला के सिर पर फोड़ दिया गया। इस बड़ी उपलब्धि के मुख्य सूत्रधार डा.रौतेला के कौशल, सृजनशीलता और नेतृत्वक्षमता को स्वयं भारत सरकार ने प्रमाणित कर दिया है तो इससे सिद्ध होता है कि उत्तराखंड में हुक्मरानों की जी-हजूरी और उनकी अपेक्षाएं पूरी नहीं की तो पद पर नहीं रह सकते।

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