उत्तराखंड

सिपाही के पत्र से उत्तराखंड पुलिस महकमे में खलबली! आदेश जारी

देहरादून: उत्तराखंड पुलिस विभाग में हरिद्वार जिले के एक सिपाही का पत्र इन दिनों प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है. ये पत्र हरिद्वार जिले में तैनात एक सिपाही ने डीआईजी गढ़वाल करण सिंह नगन्याल को लिखा है. पत्र में लिखा गया है कि साहब सैल्यूट करने पर सिर तक नहीं हिलाते, जिससे वो अपमानित महसूस करते हैं.

यह शिकायती पत्र पुलिस अधिकारियों के खिलाफ डीआईजी गढ़वाल को लिखा गया है. शिकायतकर्ता का कहना है कि ऐसी सूरत में न सिर्फ जवानों का मनोबल गिरता है, बल्कि फोर्स को अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाले लोगों पर भी सवाल खड़े होते हैं.

शिकायती पत्र मिलते ही डीआईजी गढ़वाल ने सभी जनपदों के एसपी-एसएसपी और सीओ को कड़े निर्देश जारी किए हैं. डीआईजी गढ़वाल की तरफ से साफ कहा गया है कि सैल्यूट करने वाले जवानों को रिस्पॉन्स दिया जाए. यानी उनके सैल्यूट का जवाब दिया जाए.

बता दें कि पुलिस विभाग में सैल्यूट करना अनुशासन प्रोटोकॉल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसके तहत ऐसा करने पर सामने वाले को उसका जवाब देना भी अनुशासन के दायरे में आता है, लेकिन हरिद्वार जनपद से गुमनाम पत्र पुलिस जवान द्वारा सामने आते ही पूरे विभाग में इस विषय पर ही चर्चा हो रही है.

शिकायती पत्र अनुसार निचले जवानों के सैल्यूट करने पर पुलिस अधिकारी द्वारा उसका जवाब न देने को अपमानित महसूस करने के रूप में देखा जा रहा है. ऐसे में विषय की गंभीरता को देखते हुए गढ़वाल रेंज डीआईजी करण सिंह नगन्याल ने 22 अक्टूबर को सभी जनपद एसएसपी और सीओ को आदेश का पत्र जारी किया गया.

 

गौरतलब है कि उत्तराखंड पुलिस विभाग में लंबे समय से अनुशासनहीनता और आक्रोश की खबरें सामने आती रहती है. हाल ही में 4,600 ग्रेड पे मांग को लेकर पहली बार ऐसा देखा गया, जब संबंधित पुलिसकर्मियों के इशारे पर उनके परिजनों ने सड़कों पर धरना प्रदर्शन किया. इतना ही नहीं ग्रेड पे की मांग को लेकर 2001 और 2002 में भर्ती हुए प्रभावित जवानों द्वारा बकायदा यह आंदोलन सोशल मीडिया जैसे ग्रुप में भी चलाया गया.

हालांकि, पिछले दिनों पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा वर्ष 2001 में भर्ती हुए पुलिस जवानों के 4660 ग्रेड पे मांग को सही मानते हुए इसे लागू कर दिया.

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