बड़ी ख़बर: मंत्री हरक के बयान से राजनीति में हलचल! कही ये बात..सुनें
क्या हैं सियासी मायने? हरीश रावत के पास अब पंजाब का दायित्व नहीं है और वह पूरी तरह से उत्तराखंड में चुनाव पर कांग्रेस के अभियान के लिए फोकस कर सकते हैं. इधर, यह घोषणा होना और उधर हरक सिंह रावत का यह बयान आना, कितना महत्वपूर्ण है?

उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव के लिए आपसे कुछ वक्त बचा है, तो सभी विधायक और कैबिनेट मंत्री अपने कार्यकाल को लेकर जनता के बीच में भी जाने की तैयारी कर रहे हैं। उत्तराखंड चुनाव से पहले दलबदल की राजनीति में रोज़ाना एक नया एंगल सामने आ रहा है।
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राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह के साथ राज्य की भाजपा सरकार में मंत्री हरक सिंह रावत और उमेश शर्मा काउ की मुलाकात को लेकर अटकलें अभी जारी ही हैं कि हरक सिंह रावत का एक बड़ा बयान सामने आ रहा है, जिसमें कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा है कि वह अपने कार्यकाल से संतुष्ट नहीं है।
उन्होंने बताया कि मुझे अपने कार्यकाल के दौरान जितना काम करना चाहिए था मैं इतना काम नहीं कर पाया। इसके बहुत सारे कारण हैं और मैं कारण में नहीं जाना चाहता हूं। मुझे लगता है कि मैंने अच्छा काम तो किया है लेकिन जितना अच्छा काम कर सकता था उतना नहीं किया। फिर चाहे कोविड-19 जा रही हो या फिर कोई और वजह।
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एक के बाद एक बयान सुनने में आते रहते हैं। हालांकि उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत को अपना ‘बड़ा भाई’ बताते हुए उनसे माफी मांगी है। उन्होंने एक बयान में यह साफ तौर पर कहा कि वह कांग्रेस में वापसी के लिए माफी नहीं मांग रहे हैं, लेकिन सियासी अर्थ तो इस बयान के निकल ही रहे हैं।
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मीडिया से बातचीत करते हुए हरक सिंह रावत ने कहा, ‘वो बड़े हैं, बड़े भाई हैं, उन्हें पूरा अधिकार है कि वो मुझे कुछ भी कहें। मैं उनसे माफी मांग रहा हूं लेकिन इसलिए नहीं कि मुझे कांग्रेस में वापसी चाहिए बल्कि इसलिए कि हरीश रावत जी बड़े हैं।’ हरक सिंह रावत का यह बयान उस समय में आया है, जबकि हाल में दो बार उनकी मुलाकात प्रीतम सिंह के साथ हो चुकी है. लेकिन हरीश रावत से माफी मांगने के क्या सियासी मायने निकल रहे हैं?
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आपको याद होगा कि पिछले दिनों यशपाल आर्य की कांग्रेस में वापसी के तुरंत बाद हरीश रावत ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा था कि 2017 में कांग्रेस पार्टी की सरकार गिराने वालों यानी 2016 से पार्टी को छोड़कर जाने वालों को वापसी के लिए माफी मांगनी पड़ेगी। इस बयान में रावत ने ऐसे विधायकों या नेताओं को ‘महापापी’ भी कहा था। इस बयान के संदर्भ में समझा जा सकता है कि हरक सिंह रावत का माफीनामा कितना महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है।
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गौरतलब है कि कांग्रेस आलाकमान ने हरीश रावत को पंजाब के प्रभार से मुक्त कर उत्तराखंड चुनाव अभियान की कमान सौंप दी है। हरीश रावत ने खुद पार्टी से अनुरोध किया था कि वह राज्य चुनाव पर फोकस करना चाहते हैं इसलिए उन्हें पंजाब के काम से मुक्त किया जाए। स्पष्ट है कि इस नए ऐलान के बाद उत्तराखंड में हरीश रावत का पलड़ा और भारी ही हुआ है।
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