उत्तराखंडराजनीति

पावर सीज! फिर भी कुलपति ने कर दिया विशेषाधिकार का प्रयोग

सियासी दबाव बताकर भाजपा नेता को आवंटित कर दिया चार कमरे का आवास

कर्मियों के भारी विरोध पर आवंटन रद्द करने के निर्देश, लेकिन आदेश जारी करने वाले सभी चले गए छुट्टी अब अधिकारियों की कार्यशैली पर उठ रहे सवाल

पंतनगर से मुकेश कुमार की रिपोर्ट :कुलपति डॉ. तेज प्रताप ने अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए मंगलवार देर शाम एक रसूखदार भाजपा नेता व एक दुकानदार को चार कमरे का आवास आवंटित कर दिया। जिसकी भनक लगते ही बुधवार को गैर शैक्षणिक कर्मी आक्रोशित हो उठे और वह तत्काल आवास निरस्त करने की मांग लेकर कुलपति कार्यालय में धरने पर बैठ गए। कुलपति ने सियासी दबाव का हवाला देते हुए कर्मियों को शांत कराने की कोशिश की लेकिन कर्मी नहीं माने। आखिरकार घंटे भर चले हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद कुलपति को आवंटन रद्द करने के निर्देश देने पड़े।

देश में हरितक्रांति की अलख जगाने वाला जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय आज अपनी लचर कार्यप्रणाली व सियासी हस्तक्षेप के चलते अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। निवर्तमान कुलपति डॉ. तेज प्रताप का पंतनगर विवि में अब मात्र एक सप्ताह कार्यकाल शेष बचा है। नियमानुसार राजभवन ने तीन माह पूर्व उनकी पावर भी सीज कर दी है।

बावजूद इसके उन्होंने अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए मंगलवार को भाजपा जिला महामंत्री विवेक सक्सेना व दुकानदार नंदा बल्लभ पांडेय को चार कमरे के आवास क्रमशः 1167 व 756 आवंटित कर दिए। जबकि भाजपा नेता पंतनगर के जिस आवास में रह रहे हैं, 2016 में ही उसका आवंटन रद्द हो चुका है। जिसका छह माह से विवि प्रशासन न तो किराया और न ही बिजली-पानी का बिल ही ले पा रहा है। इसके बावजूद उन्हें चार कमरे का आवास आवंटित कर दिया गया।

दरअसल वर्ष 1978 में स्वरोजगार के तहत निर्माण एवं संयंत्र विभाग के पंजीकृत 16 ठेकेदारों कोे परिसर में दो कमरे आवास मुहैया कराए गए थे। जिनका किराया, बिजली व पानी विवि की निर्धारित दरों पर ही ठेकेदारों को जमा करना था। 18 जून 2015 को आयोजित विवि प्रबंध परिषद की 225वीं बैठक में पारित संकल्प के तहत 29 जून को सभी 16 आवासों के आवंटन रद्द कर दिए गए थे।

चूंकि इन आवासों का आवंटन निरस्त हो चुका है, इसलिए विवि प्रशासन पिछले छह वर्षों से इन लोगों से किराया नहीं वसूल पा रहा है, और न ही बिजली व पानी का भुगतान ले पा रहा है। जिसके चलते छह वर्ष पूर्व निरस्त हुए इन 16 आवासों में आज भी रसूखदार जमे बैठे हैं। विवि प्रशासन की लाचारी का आलम यह है, कि वह इनसे आवास खाली कराने के बजाय सभी सरकारी सुविधाएं मुफ्त में मुहैया करा रहा है।

आवंटन रद्द करने वाले चले गए छुट्टी: पंतनगर भाजपा नेता का रसूख ऐसा कि कुलपति के आवंटन रद्द करने संबंधी निर्देश के अनुपालन में आवंटन निरस्त करने का आदेश जारी करने वाले परिसंपत्ति अधिकारी डॉ. जीसी जोशी छुट्टी चले गए। इसके बाद निदेशक निर्माण एवं संयंत्र इंजी. एसके गोयल को कहा गया तो वह भी छुट्टी चले गए। इधर निदेशक प्रशासन जीवन सिंह नगन्याल ने बताया कि उन्हें इन अधिकारियों के छुट्टी पर जाने की जानकारी नहीं है।

विवि को करोड़ों की चपत: पंतनगर विवि में नियमानुसार आवास निरस्त होने के पहले माह सामान्य किराया, इसके बाद अगले दो माह तक 32 गुणा, उसके अगले दो माह 64 गुणा व उसके बाद 128 गुणा किराया देना होता है। इस नियम के तहत एक ठेकेदार पर 75 माह में 18.50 लाख रूपए, यानी 16 ठेकेदारों पर लगभग तीन करोड़ रूपए केवल किराया बनता है। इसके अलावा इनके बिजली पानी के बिल भुगतान अलग से लंबित हैं। विवि प्रशासन अपने कर्मियों से तो उनका जीपीएफ आदि रोककर वसूली कर लेता है, लेकिन इन ठेकेदारों से वसूली कौन करेगा ?

ठेकेदारों की ऊंची पहुंच के चलते कार्रवाई से कतरा रहा विवि प्रशासन: पंतनगर परिसर में जमे इन ठेकेदारों की पहुंच विवि के अधिकारियों सहित शासन व सत्ता के शीर्ष तक है। जिसके चलते किसी भी कार्रवाई की भनक इन्हें पूर्व में ही लग जाती है और यह ऊपर से दबाव डलवाकर कार्रवाई रूकवा देते हैं। इसलिए विवि प्रशासन भी इन पर कोई भी कार्रवाई करने से कतराता है। इतना ही नहीं इनमें से कई तो सत्ताधारी दल के विभिन्न पदों पर बैठे हैं। इनमें कई ठेकेदारों का तो विवि के कार्यों से कोई लेना देना भी नहीं है, बस पंजीकरण का नवीनीकरण करवाकर पंतनगर में जमे बैठे हैं।

मुझे आवास आवंटन संबंधी प्रकरण की पूरी जानकारी नहीं है। यदि कुलपति ने पावर सीज होने के बाद भी विशेषाधिकार का प्रयोग किया है, तो यह अपराध है। यदि ठेकेदारों के आवास छह वर्ष पूर्व निरस्त हो चुके हैं, तो जल्द उन्हें खाली कराया जाएगा।

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