
देहरादून : उत्तराखंड में 2022 में विधानसभा चुनाव हैं उससे पहले उत्तराखंड में राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज हो गई हैं। जहां कांग्रेस विधायक राजकुमार निर्दलीय विधायक प्रीतम पंवार पहले ही बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। उसके बाद भी लगातार बीजेपी कांग्रेस के बड़े नेता यह दावा कर रहे हैं कि उनके संपर्क में कई बड़े नेता समेत विधायक हैं जो कि जल्द शामिल हो सकते हैं।
वही भीमताल से निर्दलीय विधायक राम सिंह कैड़ा जल्द भाजपा का दामन थाम सकते हैं। कैड़ा की मंगलवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक से हुई मुलाकात को इससे जोड़कर देखा जा रहा है। माना जा रहा कि वह दो-तीन के भीतर दिल्ली में पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं।
पुरोला से कांग्रेस विधायक राजकुमार और धनोल्टी से निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार ने कुछ समय पहले दिल्ली में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। राजकुमार तो विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा भी दे चुके हैं। इस बीच लंबे समय से चर्चा चल रही है कि भीमताल के विधायक राम सिंह कैड़ा भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं। हालांकि, उनके भाजपा में आने की चर्चाओं के साथ भीमताल क्षेत्र में पार्टी के भीतर से विरोध के सुर भी उठ रहे हैं।
इस बीच विधायक कैड़ा ने मंगलवार को भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक से देहरादून में मुलाकात की। उनके बीच करीब पौन घंटे तक बातचीत हुई। ऐसे में माना जा रहा कि वह जल्द ही भाजपा में शामिल होंगे। उधर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष कौशिक ने कहा कि विधायक की उनके साथ शिष्टाचार मुलाकात थी। कैड़ा भाजपा में शामिल हो रहे हैं या नहीं, इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है। इस विषय पर उनकी कोई बात नहीं हुई है।
भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी वित्तीय स्थिति के अनुरूप घोषणाएं कर रहे हैं, जो धरातल पर उतर रही हैं। उन्होंने विपक्ष की ओर से खनन और नियुक्तियों को लेकर लगाए जा रहे आरोपों को दुर्भावना से प्रेरित करार दिया।
चौहान ने कांग्रेस को निशाने पर लेते हुए कहा कि नियुक्तियों के मामले में कांग्रेस को अपने कार्यकाल का आकलन करना चाहिए कि तब किस तरह नियुक्तियों में लेन-देन हुआ और कैसे चहेतों को लाभ पहुंचाकर बेरोजगारों के हक पर डाका डाला गया था।
उन्होंने कहा कि सरकार खनन को राजस्व का स्रोत मानती है, लेकिन भाजपा के कार्यकाल में अवैध खनन को संरक्षण नहीं मिला। अलबत्ता, कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में खनन नीति भी चहेतों की सुविधा के हिसाब से बनाई जाती थी।