देहरादून: सेवानिवृत्त आयुर्वेद चिकित्साधिकारियों की आयुर्वेदिक एवं यूनानी सेवा निदेशालय के सभागार में अपनी पेंशन स्वीकृती एवं बहाली के सम्बन्ध में विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक हुई। जिसमें डॉ० जे० पी० सेमवाल द्वारा सेवानिवृत्त आयुर्वेद चिकित्साधिकारियों की पेंशन तुरन्त स्वीकृत एवं बहाल करने की मांग की गयी।
डॉ० सेमवाल द्वारा कहा गया कि उत्तराखंड में पेंशन अधिनियम आने के पश्चात अप्रैल 2018 से सेवानिवृत चिकित्साधिकारियों को पेंशन, ग्रेच्युटी आदि सेवा लाभ नहीं दिया जा रहा है। जिससे कि सेवानिवृत्त चिकित्साधिकारियों को गंभीर आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
आगे डॉ० सेमवाल ने बताया कि इस सम्बन्ध में पहले भी कई बार शासन स्तर पर वार्ता हो चुकी है किन्तु नतीजा सिफर ही रहा है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि इस बार भी 15 दिन के अन्दर वार्ता का कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला तो समस्त सेवानिवृत्त चिकित्सक अपने जीवन के अंतिम काल में आमरण अनशन करने को बाध्य होंगे। जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन की होगी। साथ ही कहा कि बिना पेंशन के हमारी जिंदगी बदतर हो चुकी है। इसलिए हम लोग शासन से इच्छा मृत्यु की मांग करते हैं।
राजकीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सा सेवा संघ (पंजीकृत) उत्तराखंड के प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ० डी० सी० पसबोला, प्रांतीय अध्यक्ष डॉ० के० एस० नपलच्याल, महासचिव डॉ० हरदेव सिंह रावत, उपाध्यक्ष डॉ० अजय चमोला ने भी सेवानिवृत्त चिकित्साधिकारियों की पेंशन स्वीकृती एवं बहाली की मांग को जायज बताया एवं शासन से इस सम्बन्ध में शीघ्र ही आवश्यक कदम उठाने की मांग की गयी ह।