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ब्रेकिंग उत्तराखंड: आज IAS पंकज पांडेय के खिलाफ बैठी और दो जांच 

देहरादून : डॉ निधि उनियाल प्रकरण में जहां पंकज पांडेय पर अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार की अध्यक्षता में मुख्य सचिव द्धारा जांच बैठायी गई है वहीं दूसरी ओर आज दो अहम जांच सुभारती एम्टीवीट्रस्ट (MTVT trust)महायान तथागत वज्रायांन बुद्धिस्ट चैरिटेबल ट्रस्ट ( अब सुभारती वालो ने बौद्ध धर्म अपना लिया होना बताकर ) ( पूर्व नाम जगत नारायणसुभारती ट्रस्ट ) द्वारा स्थापित किये गए गौतम बुद्ध मेडिकल कॉलेज,देहरादून को गलत दस्तावेज और प्रपत्रों के आधार पर MBBS कोर्स की अनुमति देने का प्रमाण पत्र जारी करने, सुभारती पर 72 करोड़ की सरकारी देनदारी होते हुए भी एक शपथ पत्र लेकर सरकारी देनदारी को दरकिनार करते हुए MBBS कोर्स की अनुमति देने का प्रमाण पत्र जारी करने, राज्य स्तर की सरकारी कमिटी की रिपोर्ट अनदेखी करने, निदेशक चिकित्सा सिक्षा और सचिव अमित सिंह नेगी की सुभारती के खिलाफ दी गयी रिपोर्ट को नजरअंदाज करते हुए, बिना हाई पावर कमिटी के अनुमोदन लिए ,MBBS कोर्स की अनुमति देने का प्रमाण पत्र जारी करने के खिलाफ 2 जांच बैठा कर नोटिस जारी कर दिया गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार पहली जांच चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा ही सचिव पंकज पांडेय के खिलाफ बैठाई गयी है जिसमे चिकित्सा सिक्षा विभाग के ही अपर सचिव अरुणेंद्र सिंह चौहान को अध्यक्ष बनाया गया है एवं उनके साथ अपर जिलाधकारी राजस्व /वित्त ,देहरादून ,अपर निदेशक चिकित्सा सिक्षा ,देहरादून एवं वित्त नियंत्रक चिकित्सा शिक्षा निदेशालय देहरादून सदस्य होंगे।

उक्त समिति भू राजस्व एवं बैंको के सम्बंधित दस्तावजों की पड़ताल कर अपनी रिपोर्ट एक माह में देगी सब जानते है अरुणेंद्र चौहान जनरल बी सी खंडूरी के OSD रहे है सारंगी के समय और भाजपा के शाशन में चिकित्सा सिक्षा मंत्री धन सिंह रावत है और जांच प्रभावित या देरी से होनी निश्चित है।
हास्यादपद और गौर तलब है कि इंस्पेक्टर को एसएसपी कि जांच देना जैसा वाकया स्पष्ट दिख रहा है क्यूंकि ऐसी ही एक कमिटी 3 माह पूर्व भी प्रिंसिपल दून मेडिकल कॉलेज डा आशुतोष सायना कि अध्यक्षता में बनाई गयी थी।

( देखे समिति बनाने का आदेश )


तथा उक्त समिति ने सभी बैंको से पत्राचार किया और बैंको ने समिति को वस्तुस्तिथि से अवगत भी करवा दया था परन्तु जब बैंको द्वारा जांच रिपोर्ट सुभारती और पंकज पांडेय के खिलाफ आई तो जांच समिति ने पत्र भेज दिया कि बैंको से रिपोर्ट अप्राप्त है और इस समिति को इस विषय में ज्ञान नहीं है।
सवाल यह उठता है कि जब समिति को जांच रिपोर्ट नहीं देनी थी या समिति सक्षम नहीं थी, या जांच करनी ही नहीं थी तो इतना समय क्यों व्यतीत किया गया इससे निश्चित ही जाहिर है की अपने ही विभाग के सचिव के खिलाफ कौन रिपोर्ट देगा ( देखिये जांच समिति के अध्यक्ष द्वारा शासन को भेजा गया पत्र )

सारी हकीकत सब जानते है कि कहा- कहा, क्या- क्या केस /विवाद कोर्ट आदि में चल रहे है कौन संपत्ति का असली मालिक है और सबसे बड़ी बात कि सुप्रीम कोर्ट तक ने सुभारती कि अनुमति निरस्त कर दी थी और राज्य सरकार के महाधिवक्ता ने माननीय सुप्रीम कोर्ट को सब लिखित में अवगत करवाया हुआ है तब भी ये जांच – जांच का खले खेला जा रहा है तो निधि उनियाल के मामले में क्या होगा ?

जब सब पता है तो क्यों जांच को लटकाया जा रहा है सीधे अनिवार्यता प्रमाण पत्र निरस्त करे जिससे १५० छात्रों का भविष्य सुरक्षित हो क्यूंकि अभी तो अंतिम counselling ११ अप्रैल को है इसलिए टाइम जांच के नाम पर आगे खिसकाया जा रहा है जिससे छात्र एडमिशन लेकर फँस जाए और 24 लाख fees के हिसाब से 200 करोड़ डकार लिया जाये

अब यही पुनरावरर्ति की गयी है जो जांच समिति अब बनाई गयी है उसमे भी विभाग के अपर सचिव अरुणेंद्र सिंह चौहान ( जिन्होंने उक्त मेडिकल कॉलेज की एडहॉक ( बिना सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश के द्वारा सभी कॉलेजो के लिए गठित समिति के फीस समिति के निर्णय के ) 24 लाख फीस निर्धारित की है ) दूसरे अपरा जिलाधिकारी है जो शाशन के सचिव के खिलाफ कैसे रिपोर्ट देंगे ,तीसरे अपर निदेशक चिकत्सा सिक्षा डा आशुतोष सयाना जो पूर्व में जांच समिति के अध्यक्ष थे ( ऊपर दिए पत्र में जिन्होंने अपनी असमर्थता प्रकट की ) और चौथे वही वित् नियंत्रक विवेक स्वरुप है जो पहले भी समिति में थे यानी साफ़ जाहिर है कि एक बार फिर जांच घुमा दी गयी है इसलिए इस जांच समिति को निरस्त करके सचिव से उच्च स्तर के अधिकारी से जांच कराई जाये तब तक सचिव पंकज पांडेय को निलंबित किया जाये तथा शिकायत कर्ता को भी समिति में अथवा बैठक के समय सबके समक्ष बुलाया जाए जिससे सब दूध का दूध पानी का पानी हो कही बंद कमरे कि जांच में फिर वही सब खेल न हो।

कांग्रेस का विवादित सुभारती ट्रस्ट को मेडिकल NOC देने पर बड़ा हमला: विवादित,भ्रष्ट IAS को निलंबित और NOC को तत्काल निरस्त करे सरकार : सुजाता पॉल,प्रवक्ता कांग्रेस,उत्तराखंड

देखिये पूर्व नियुक्त जांच समिति के सदस्य : एक तरफ तो माननीय उच्च न्यायलय के आदेश से शिकायत कर्ता के पक्ष में सुभारती के कॉलेज राज्य सरकार बंद कर रही है दूसरी तरफ पंकज पांडेय द्वारायह अनुमति दी जा रही है
और आईवाश करने के लिए पुनः यह समिति – समिति का खेल खेला गया गया और सबसे महत्वपूर्ण यह है कि शिकायत कर्ता का कही नाम ही नहीं है कि क्रॉस चेक कैसे होगा ?आज बैठी दूसरी जांच
जांच समिति पूर्व में ही लिखित में अपनी रिपोर्ट दे चुकी है कई विवाद लंबित है(देखे ऊपर पत्र ) और अपर निदेशक एवं प्रिंसिपल दून मेडिकल कॉलेज डा आशुतोष सयाना भी लिखित में दे चुके है(देखे ऊपर पत्र ) न्यायलय में लंबित विवादों पर रिपोर्ट पर फिर भी रिपोर्ट – रिपोर्ट और जांच- जांच का खेल खेल खेला जा रहे है और एक्ट सभी प्रपत्र RTI में प्राप्त है और पत्रावली पर पर है क्यों नहीं मुख्यमंत्री कर देते दोषी अधिकारियो का निलंबन और निरस्त कर दे धोखाधड़ी से जारी किया अनिवार्यता प्रमाण पत्र ?

वही दूसरी ओर आज सचिवालय में सतर्कता एवं प्रशाशन के सचिव अरविन्द सिंह हयांकी ने DOPT , नई दिल्ली से आयी मुख्य सचिव को प्राप्त जांच में विभागीय सचिव पंकज पांडेय से सीधे ही उक्त विषय पर नोटिस जारी करते हुए स्पष्टीकरण मांग लिया है यह स्पष्टीकरण माँगना भी उचित नहीं दिखता क्यूंकि इससे पहले यह जांच ठीक इसी प्रकार जैसे आज चिकित्सा शिक्षा विभाग से ,नई कमिटी बनाए जाने के आदेश हुए है हुए है ऐसे ही पूर्व में अपर सचिव, चिकित्सा सिक्षा सोनिका को जांच दी गयी थी जिसपर 3 महीने बाद अपर सचिव सोनिका ने लिखित में दे दिया कि वो अपने सचिव कि जांच नहीं कर पाएंगी और फिर आज मुख्य सचिव के निर्देश पर सचिव सतर्कता ने पंकज पांडेय को स्पष्टीकरण देने का पत्र जारी कर दिया है और सीधे स्पष्टीकरण मांगना था तो पहले ही दिन क्यों नहीं माँगा ? जाहिर है समय व्यतीत किया जा रहा है।

सवाल यह उठता है कि सचिव कि जांच अपर सचिवों को ही क्यों दी जा रही है प्रमुख सचिव या अपर मुख्य सचिव को क्यों नहीं दी जा रही? और क्या फिर दुबारा से 150 छात्रों का भविष्य दांव पर लगेगा और फिर वही धरना ,प्रदर्शन , हाई कोर्ट , सुप्रीम कोर्ट चलेगा क्यूंकि पहले भी सुभारती मेडिकल कॉलेज 300 MBBS के छात्रों का भविष्य और 2 साल ख़राब कर चूका है और निदेशक चिकित्सा सिक्षा ने इस संस्था को प्रबंधित करते हुए एक अरब रुपये कि पेनल्टी लगाई हुई है जिसमे से आज भी 72 करोड़ सुभारती / गौतम बुद्ध मेडिकल कॉलेज, देहरादून ने सरकार को देना है और अब नाम बदल कर नए नाम से बड़ा फर्जीवाड़ा करके पंकज पांडेय से प्रमाण पत्र ले लिया अगर पंकज पांडेय IAS सही है और अब जबकि सब खुलासा हो गया है तो क्यों नहीं कर देते अनिवार्यता प्रमाण पत्र को निरस्त ??
देखना यह है कि मामला इतना हाइलाइटेड होने पर भी मुख्यमंत्री इस पर क्या आदेश करते है, क्यूंकि धन सिंह रावत ने तो मुँह काफी समय से बंद किया हुआ है.

कौन है पंकज पांडेय ? क्या आरोप रहे इन पर ?

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