उत्तराखंडराजनीतिविधानसभा चुनाव 2022

उत्तराखंड: जी हां! इंसान की जरूरत ही एक ऐसी अवस्था है..

जिसमें उसकी कड़वी जुबान भी अक्सर मीठी हो जाती है

देहरादून: उत्तराखंड में महिलाओं की पहाड़ की धुरी यूं ही नहीं कहा जाता घर-परिवार से लेकर खेत-खलिहान में दिनभर खटने वाली पहाड़ की नारी लोकतंत्र की सजग प्रहरी भी है और वह अपना फर्ज बखूबी समझती है। पांचवी विधानसभा के चुनाव के लिए हुए मतदान के आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। पर्वतीय जिलों में पुरुषों के मुकाबले आधी आबादी ने 10 से 20 प्रतिशत अधिक मतदान किया। चीन और नेपाल की सीमाओं से सटे उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र का विषम भूगोल और वहां की विषम परिस्थितियां किसी से छिपी नहीं है।

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घनसाली में सबसे अधिक रहा मतदाताओं का अंतर

घनसाली विधानसभा सीट पर महिला व पुरुष मतदाताओं में सबसे अधिक 20 प्रतिशत का अंतर रहा। इसके अलावा पांच सीटों रुद्रप्रयाग, देवप्रयाग, प्रतापनगर, बागेश्वर व लोहाघाट में मत प्रतिशत का अंतर 15 से 20 प्रतिशत तक का रहा। 10 सीटों धराली, नरेंद्रनगर, टिहरी, श्रीनगर, लैंसडौन, कपकोट, द्वाराहाट, सल्ट, सोमेश्वर व जागेश्वर में मत प्रतिशत का अंतर 10 से 15 प्रतिशत के बीच रहा। पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में मतदान के प्रति उत्साह देखा गया। कई महिलाएं तो ऐसी थी कि अलसुबह कोहरे के बीच मतदान के लिए आकर कतार में लग गई। कई महिलाएं अपने साथ नाश्ता भी लेकर आई।

घर-परिवार से खेत-खलिहान तक काम कर रहीं महिलाएं

पहाड़ की महिलाएं हर मोर्चे पर आगे है। बात चाहे घर परिवार की हो या खेत खलिहान की नारी पुरुष के कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है। पलायन की मार से जूझते पहाड़ के गांवों में घर परिवार से लेकर खेत खलिहान तक की भूमिका महिलाएं निभा रही है। इस परिदृश्य के बीच पहाड़ के विकास के दायित्व का बोझ पहाड़ की नारी कंधों पर ही है। साथ ही वह सीमा प्रहरी की भूमिका का निर्वहन भी कर रही है। लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए भी वह अपना फर्ज बखूबी समझती है।

चुनाव चाहे छोटी सरकार यानी ग्राम पंचायत का हो या फिर राज्य और देश की सर्वोच्च पंचायत का सभी में वह उत्साह के साथ भागीदारी करती आ रही है। पांचवीं विधानसभा के चुनाव के लिए हुए मतदान में भी पुरुषों के मुकाबले पहाड़ की •ya महिलाओं ने जागरूकता और समझदारी का परिचय देते हुए मिसाल कायम की है। निर्वाचन आयोग की ओर से जारी किए गए मतदान के अंतिम आंकड़े इसकी पुष्टि कर रहे हैं।

बात सीमांत चमोली, उत्तरकाशी व पिथौरागढ़ जिलों की हो या फिर रुद्रप्रयाग, टिहरी, पौड़ी, … बागेश्वर, चंपावत, अल्मोड़ा व नैनीताल की सभी जगह महिलाओं ने लोकतंत्र के महायज्ञ में बढ़-चढ़कर आहुति दी। पहाड़ की नारी ने साबित किया है कि मतदान अधिकार तो है ही, यह .. कर्तव्य भी है।

महिलाओं की इस जागरुकता को देखकर कहा जा सकता है कि महिलाएं भी “अब समझदार हो गई है। पहले मतदान और राजनीति का समझ का हिस्सा पुरुषों को ही समझा जाता था लेकिन अब महिलाएं अपने हक और अधिकारों को समझने लगी है। वे जानती कि मतदान करने से ही उन्हें अपनी सरकार बनाने का मौका मिलेगा और वे बाट उसी को देंगी जो उन्हें उनका हक दिलाएगा।

17 सीटों पर पुरुषों ने अधिक किया मतदान

विधानसभा चुनाव में पुरुषों ने 17 सीटों पर ही अधिक मतदान किया। बाकी सीटों पर मतूदन करने में महिलाएं आगे रही। पुरुष जहां मतदान में आगे रहे उन सीटों में चकराता, राजपुर रोड, रानीपुर ज्वालापुर, भगवानपुर, झबरेड़ा, पिरान कलियर, रुड़की, खानपुर, मंगलीर, लक्सर, हरिद्वार ग्रामीण, हल्द्वानी, काशीपुर, बाजपुर, गदरपुर व सितारज शामिल है।

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